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विस्तार
यह अजब नियुक्ति की गजब कहानी है। बेसिक शिक्षा विभाग में एक शिक्षिका ने न केवल फर्जी दस्तावेज लगा नौकरी पा ली। बल्कि बार-बार विभागीय जांच को धता बता दो दशक से भी ज्यादा समय तक वेतन लेती रहीं। मार्च 2023 में सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षिका के खिलाफ चल रही जांच पूरी हुई तो पता चला कि पूर्व की जांचें सही थी और शिक्षिका ने कूटरचित दस्तवेजों की बदौलत नौकरी पाई थी। रिपोर्ट आने के बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षिका की पेंशन, जीपीएफ व अन्य लाभों के भुगतान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
तीन दशक पुराना मामला
मामला लगभग तीन दशक पुराना है। विकास खंड अकोला के पूर्व माध्यमिक विद्यालय गहर्राकला में देवीरानी की सहायक अध्यापिका के रूप में नियुक्ति हुई। शिक्षिका द्वारा नियुक्ति के समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित के लिए आरक्षण का प्रमाण पत्र लगाया था। अक्टूबर 2021 में अकोला निवास रामवीर सिंह ने प्रकरण की शिकायत डीएम से की। जिस पर जांच अधिकारी ने शिक्षिका द्वारा लगाए गए साल 1993 और 2004 को जारी प्रमाण पत्रों को नियम संगत न होने के कारण निरस्त बताया। शिक्षिका का वेतन रोकने की संस्तुति के साथ ही स्पष्टीकरण भी मांगा। जिस पर शिक्षिका ने बड़ी चतुराई से अपने प्रमाण पत्र को सही बताते हुए पुन: जांच का आग्रह किया और मिलीभगत से वेतन भी रिलीज करवा लिया।
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फिर से कराई गई जांच
तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ ने प्रमाण पत्रों की पुन: जांच कराई तो उसमें पूर्व की जांच को सही मानते हुए शिक्षिका के निलंबन की संस्तुति की गई थी। मगर कछुए की गति से चल रही जांच की रिपोर्ट जब तक आई तब तक शिक्षिका सेवानिवृत हो चुकीं थी। इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि प्रकरण काफी पुराना है, जैसे ही उनके संज्ञान में मामला आया उन्होंने शिक्षिका की पेंशन व अन्य देय लाभों के भुगतान पर रोक लगा दी है। अब विभाग शिक्षिका पर नियमानुसार कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
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