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आगरा विकास प्राधिकरण
– फोटो : अमर उजाला
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केस एक: 17 नवंबर 2022 को एडीए ने बिचपुरी के चौहटना गांव में कृषि भूमि पर बन रही अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया था। यहां लगभग आठ हजार वर्ग मीटर भूमि पर बिना मानचित्र व अनुमति के दीवार और गेट लगाकर कॉलोनी का बोर्ड टांगने के बाद प्लॉटिंग हो रही थी।
केस दो: तीन नवंबर 2022 को बिचपुरी के चौहटना गांव में ही एडीए प्रवर्तन दल ने सात हजार वर्ग मीटर में निर्माणधीन अवैध कॉलोनी को ध्वस्त किया। इसका नक्शा पास नहीं था। कॉलोनी में गेट और सड़क बनाकर अवैध प्लॉटिंग हो रही थी। कृषि भूमि को आबादी का घोषित नहीं किया गया था।
आगरा के सिकंदरा, रोहता, मलपुरा, बिचपुरी से लेकर शमसाबाद रोड तक कृषि भूमि पर अवैध निर्माणों की ‘फसल’ लहलहा रही है। प्राधिकरण और बिल्डरों की सांठगांठ से अवैध कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। बिना मानचित्र स्वीकृति और अनुमति के प्लॉट बेचे जा रहे हैं। सस्ते प्लॉट के झांसे में खरीदार फंसकर अपनी रकम गवां रहे हैं। खरीदार के निर्माण करने पर एडीए नोटिस थमाकर निर्माण रोक देता है।
रिकॉर्ड में पहले से दर्ज हैं 254 अवैध कॉलोनियां
आगरा विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड में पहले से 254 अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्हें काली सूची में रखा गया है। इनके अलावा करीब 18 हजार अवैध निर्माण हो चुके हैं। अब शहरी सीमा से लगे गांवों में कृषि भूमि को बिना एडीए की अनुमति और मानचित्र बिल्डर निजी कॉलोनियां बना दे रहे हैं। एडीए में हर माह ऐसी 20 से अधिक शिकायतें पहुंच रही हैं, जिसमें लोगों की रकम फंस रही है। शमसाबाद रोड स्थित रजरई के पास 600 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर 80 से अधिक अवैध कॉलोनियां खड़ी हैं। इनमें रहने वाले 50 हजार से अधिक लोग नाली, सीवर, पेयजल, बिजली, हरियाली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
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