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रेलवे स्टेशन के आसपास लगे लंगूर के कैटलॉग
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा में रेलवे स्टेशनों पर बंदरों को भगाने के लिए रेलवे प्रशासन ने नया तरीका अपनाया है। लंगूर के कटआउट और उसकी आवाज निकालने वाले साउंड सिस्टम लगाए गए हैं। नगर निगम और वन विभाग को पत्र लिखने के बाद भी बंदर नहीं पकड़े जाने पर यह प्रयोग किया गया है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि इससे बंदरों को भगाने में मदद मिल रही है।
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को गश्त के दौरान बंदरों ने दरोगा पर हमला किया। दरोगा के दाहिने हाथ में कंधे पर बंदर के काटने से करीब 2 इंच गहरा घाव हो गया। रेलवे अस्पताल में दरोगा का उपचार हुआ। बुधवार को रेलवे ने राजा की मंडी, आगरा कैंट व फोर्ट रेलवे स्टेशन पर बंदरों से निजात के लिए खंभों पर लंगूर के कटआउट व पोस्टर लगाए। लंगूर की आवाज निकालने वाले साउंड सिस्टम लगाकर उससे लंगूर के आवाज निकाले गए।
वाणिज्य प्रबंधक प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि देश के कई शहरों में स्टेशनों पर इस तरह का प्रयोग सफल रहा है। बंदरों से निजात के लिए वन विभाग और नगर निगम से पत्राचार किया जा रहा है। राजा की मंडी स्टेशन पर सबसे ज्यादा बंदरों का आतंक है। यात्रियों पर बंदर झपटते हैं। सामान छीन लेते हैं। बंदरों के हमले में कई बार यात्री भागते समय गिरकर घायल हो चुके हैं।
पूर्व में नौकरी पर रखे थे लंगूर
रेलवे प्रशासन पूर्व में बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों को नौकरी पर रख चुका है। पशु प्रेमी संस्थाओं के विरोध के बाद रेलवे को लंगूर रखने का करार खत्म करना पड़ा था। आगरा पुलिस ने भी बंदर भगाने के लिए पुलिस लाइन और एसएसपी कार्यालय पर लंगूर रखे थे, पर इन्हें भी हटाना पड़ा। वर्तमान में शहर में तमाम निजी संस्थान, स्कूल, बैंक, होटलों में लंगूर को नौकरी पर रखा जाता है।
बंदर भागने की कोई स्टडी नहीं
डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी कोई स्टडी नहीं है, जिसमें साउंड व फोटो देखकर बंदर भागते हैं। कीठम में बंदर और लंगूर एक साथ रहते हैं, जबकि कई जगह लंगूर को देखकर बंदर भागते हैं।
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