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Agra News: रासायनिक खाद बिगाड़ रही मिट्टी की सेहत
– फोटो : अमर उजाला
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अगर आप किसान हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। उत्तर प्रदेश के आगरा में रासायनिक खादों के अंधाधुध प्रयोग से धरती की कोख बंजर होने की तरफ बढ़ रही है। हाल ही में कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी में हुए मृदा परीक्षण में इसकी पुष्टी हुई है। अगर सुधार के प्रयास नहीं किए गए तो स्थिति भयावह हो सकती है।
आरबीएस कॉलेज कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ संदीप सिंह ने बताया कि केवीके पर 6 अक्टूबर 2012 को मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला खुली थी। उस समय आगरा की मृदा का पीएच मान 7.6 से 8.0 था जबकि अच्छी मृदा का पीएच 7 से 7.5 होना चाहिए। केंद्र पर गत वर्ष 1200 मृदा परीक्षण किए गए थे। इसमें मृदा का पीएच 8.2 से 8.6 था। अप्रैल माह में केंद्र पर लगभग 500 नमूनों की जांच की गई है। जिनमें मृदा का पीएच मान 8.2 से लेकर 8.7 आया है।
असंतुलित खाद का उपयोग मिटृी की दशा खराब कर रही
डॉ संदीप ने कहा है कि कार्बनिक खादों का प्रयोग नहीं करने से पीएच बढ़ रही है। वहीं अत्याधिक रसायनिक एवं असंतुलित खाद के उपयोग से मिटृी की दशा खराब हो रही है। मृदा में पीएच मान एवं विद्युत चालकता बढ़ रही है। कार्बनिक पर्दाथों की मात्रा कम हो रही है। जिंक और बोरोन की भी कमी आई है। मिटृी में नमक की मात्रा बढ़ती है और पोषक तत्वों की कमी होती है उसे पीएच मान कहते हैं।
बताया कि इसे मिट्टी का बुखार भी कह सकते हैं। पीएच मान बढ़ने से मिटृी अधिक चिकनी और कठोर हो जाती है तथा पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है। पौधों की पोषक तत्व लेने की शक्ति कम हो जाती है एवं उनकी ग्रोथ रुक जाती है। इससे उपज लगातार कम हो रही है।
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