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मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान व चिकित्सालय में नशे से संबंधित समस्या से पीड़ित मरीजों के लिए वार्ड शुरू कर दिया गया है। वार्ड में मरीजों के साथ तीमारदार भी रह सकते हैं। 20 बेड का वार्ड तैयार किया है। इसके अलावा मरीज अंदर भी भर्ती किए जाते हैं। मरीजों की संख्या बढ़ रही है, अभी भी लोगों को जानकारी कम है। इससे वह लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान व चिकित्सालय में नशा मुक्ति के लिए विशेषज्ञ ओपीडी संचालित की जा रही है। मरीजों के साथ तीमारदारों को रखने में समस्या हो रही थी, इसके लिए अलग वार्ड भी शुरू किया गया है। संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश राठौर ने बताया कि नशा मुक्ति की ओपीडी के लिए बृहस्पतिवार व शनिवार दिन निर्धारित है। उनका कहना है कि समाज नशे को महज एक बुराई के रूप में लेता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नशा की समस्या एक सामाजिक बुराई से कहीं ज्यादा एक मानसिक रोग है। जिसमें विशेषज्ञ काउंसलर की ओर से काउंसिलिंग की जाती है और मनोचिकित्सक की ओर से इलाज किया जाता है।
प्रो. राठौर का कहना है कि नशा मुक्ति के नाम पर बहुत सारे केंद्र ब्रज में स्थापित हो रहे हैं पर प्रशिक्षित मानसिक रोग विशेषज्ञों की संख्या में कमी की वजह से मानकों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में शुरू किए गए नशा मुक्ति केंद्र में मनोचिकित्सक, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, सोशल वर्कर, योग शिक्षक आदि की व्यवस्था के साथ विशेषज्ञ की ओर से इलाज किया जाता है।
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तनाव में व्यक्ति बढ़ता है नशे की ओर
सामान्य तौर पर तनाव की स्थिति में व्यक्ति नशे की ओर बढ़ता है और नशे की बीमारी का शिकार बन जाता है। वहीं, नियमित नशा लेने वाले व्यक्ति के जीवन में तमाम तनाव उत्पन्न होते हैं, जिससे उसका नशे से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। संस्थान में प्रतिदिन 20 से 30 नशे से संबंधित मानसिक रोगी परामर्श प्राप्त कर रहे हैं। नशे व मानसिक रोग की मिश्रित समस्या से पीड़ित करीब 150 मरीज संस्थान में भर्ती हैं, इनका इलाज चल रहा है।
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