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Train
– फोटो : iStock
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आगरा के कमला नगर के एक युवक ने बांदा से आगरा कैंट आने के लिए तत्काल कोटे से टिकट बुक कराया। पर, यात्रा के दिन ट्रेन में आवंटित कोच लगा ही नहीं था। उन्हें 440 रुपये कम वाले दर्जे में यात्रा करानी पड़ी। शिकायत के बाद भी रुपये वापस न होने पर उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया गया। करीब पांच साल चली सुनवाई के बाद फोरम अध्यक्ष ने रेलवे को टिकट के अंतर के रुपये और वाद व्यय की रकम साथ प्रतिशत ब्याज सहित देने के आदेश दिए हैं।
मामला कमला नगर निवासी मुन्नालाल का है। उन्होंने बताया कि 8 सितंबर 2017 को बांदा से आगरा कैंट आने के लिए तत्काल कोटे में 1570 रुपये में संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के द्वितीय श्रेणी एसी कोच का टिकट बुक कराया था। 9 सितंबर को रेलवे स्टेशन पहुंचे तो ट्रेन में वह कोच नहीं था। टीटी ने उन्हें एसी के तृतीय श्रेणी कोच में बैठा दिया, जिसका किराया 440 रुपये कम था।
उन्होंने 28 नवंबर 2017 को रेलवे को नोटिस भेजा था। जिसका रेलवे ने 10 अप्रैल 2018 को गलत जवाब दिया। इसके बाद डीआरएम नॉर्थ सेंटर रेलवे, झांसी स्टेशन मास्टर, बांदा रेलवे स्टेशन, कामर्शियल मैनेजर रिफंड कार्यालय नई दिल्ली और डीआरएम आगरा व अन्य से संबंधित टीटी के विरुद्ध वाद दायर किया गया था।
जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य अरुण कुमार ने रेलवे को 45 दिन के अंदर टिकट के बचे 440 रुपये और मानसिक उत्पीड़न और वाद व्यय के रूप में 8000 रुपये मुकदमे की तारीख से सात प्रतिशत ब्याज सहित देने के आदेश किए।
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