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केंद्रीय कारागार आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 को निष्प्रभावी कर दिया गया था। इस फैसले के बाद कश्मीर से पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) और अन्य धारा में बंद बंदियों की खेप आगरा के केंद्रीय कारागार भेजी गई थी। इनमें पत्थरबाज और आतंकी भी शामिल थे। 315 में से 70 अब भी यहां निरुद्ध हैं। इन बंदियों पर जेल के अंदर से लेकर बाहर तक सख्त पहरा है।
आगरा में कश्मीरी बंदियों की पहली खेप 8 अगस्त 2019 को आगरा आई थी। इस दौरान 26 बंदियों को लाया गया था। कश्मीरी बंदियों को देखते हुए केंद्रीय कारागार के बाहर पीएसी लगाई गई थी। बंदियों को उच्च सुरक्षा बैरक में रखा गया था। जिस रास्ते से बंदी लाए गए, वहां पर पुलिस लगाई गई थी। रास्ता भी साफ कराया गया था। बंदियों के वाहनों की खिड़कियां भी बंद कर दी गई थीं।
श्रीनगर, जम्मू और कठुआ की जेलों में बंद बंदी आए थे। एक-एक करके इनकी संख्या 315 तक पहुंच गई थी। इनमें से 211 को रिहाई मिल गई, जबकि 34 को दूसरी जेलों में ट्रांसफर कर दिया गया। वर्तमान में जेल में 70 बंदी निरुद्ध हैं।
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महीनों बाद आ सके थे मुलाकाती
जम्मू कश्मीर से लाए गए बंदियों के मुलाकाती भी कई महीनों बाद आ सके थे। मुलाकात करने आने वालों को पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन की मदद से सत्यापन कराना होता था। इसके बाद उनकी मुलाकात कराई जाती थी।
उच्च सुरक्षा बैरक में है रखा
केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक ओपी कटियार ने बताया कि उच्च सुरक्षा बैरक में 70 कश्मीरी बंदियों को रखा गया है। इस दौरान कारागार के अंदर और बाहर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
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