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कुख्यात विनोद जाट का फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में पचास हजार का इनामी रह चुका बर्खास्त सिपाही विनोद जाट एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में है। इस बार सिकंदरा थाना पुलिस ने उसे जेल भेजा है। उसके खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी थे। पुलिस ने उसे हाथरस के मुरसान से गिरफ्तार किया।
थाना सिकंदरा के प्रभारी निरीक्षक नीरज शर्मा ने बताया कि जुलाई 2017 में झांसी से सराफा कारोबारी राजू कमरिया और राहुल अग्रवाल का अपहरण हुआ था। दोनों को आगरा लाकर सिकंदरा क्षेत्र के अपार्टमेंट में बंधक बनाया गया था। विनोद जाट की पहचान टोल प्लाजा के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से हुई थी। टोल पर उसने खुद को पुलिसकर्मी बताया था।
एसटीएफ ने बदमाशों को घेरा था। मुठभेड़ के बाद कारोबारी मुक्त करा लिए गए। मामले में पुलिस मुठभेड़ और दस्यु प्रभावी अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ। इसमें विनोद जाट आरोपी था। कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। पुलिस ने उसकी हाथरस के मुरसान में घेराबंदी की। बुधवार को पकड़ लिया गया। कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।
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ड्यूटी से गायब होकर की थी लूट
विनोद जाट के खिलाफ आगरा के अलावा मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ और झांसी में मुकदमे दर्ज हैं। वह हिस्ट्रीशीटर भी है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, विनोद जाट हाथरस के गांव महामौनी का रहने वाला है। वह वर्ष 2011 में सिपाही बना था। आगरा में पहली तैनाती मिली। उसने वर्ष 2014 में वह एत्माददौला क्षेत्र के एक धर्मस्थल की गारद डयूटी पर था। वह ड्यूटी से गायब होकर चोरी की बाइक पर मोतीगंज में व्यापारी से लूट करने गया था। व्यापारी पर फायरिंग कर नकदी का थैला लूटा था। तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर ने उसे निलंबित किया था। वह जेल गया था। बाद में उसकी बर्खास्तगी हुई थी। तब से कई और वारदात में नाम आ चुका है।
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