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मैनपुरी। गेहूं की सरकारी खरीद के लिए जिले में बनाए गए 78 क्रय केंद्रों पर 37 दिन में लक्ष्य के सापेक्ष केवल 1.14 प्रतिशत ही खरीद हो सकी है। किसान अभी भी सरकारी खरीद केंद्रों से दूरी बनाए हुए हैं। गेहूं की फसल बेचने के लिए किसानो की पहली पसंद आढ़तें ही बनी हुई हैं। जिले में गेहूं खरीदने के लिए 78 सरकारी खरीद केंद्र बनाए गए हैं। एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई है। जिले के 78 सरकारी खरीद केंद्रों को 30 जून तक 97000 मीट्रिक टन गेहूं खरीदना है। खरीद शुरू हुए 37 दिन बीत चुके हैं। 37 दिन में 64 खरीद केंद्रों पर केवल 1101 मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा जा सका है। सरकारी खरीद केंद्रों पर केवल 271 किसानों का ही गेहूं खरीदा गया है। जो लक्ष्य का केवल 1.14 प्रतिशत ही है। किसान अभी भी खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। कई खरीद केंद्रों पर पूरे दिन सन्नाटा छाया रहता है।
मंडी में आढ़तें रहती गुलजार
किसान गेहूं बेचने के लिए आढ़तोंं पर पहुंच रहे हैं। मंडी की आढ़तें किसानों के पहुंचने से गुलजार रहती हैं। आढ़तों पर किसानों का हर तरह का गेहूं खरीदा जा रहा है। जबकि खरीद केंद्रों पर किसानों का छटा हुआ गेहूं वरीयता से खरीदा जाता है। किसानों का गेहूं आढ़ती तत्काल खरीदकर किसानों को तत्काल भुगतान भी कर रहे हैं। मंडी में सोमवार को गेहूं 2063 रुपया प्रति क्विंटल खरीदा गया, जबकि सरकारी खरीद का रेट 2125 रुपया प्रति क्विंटल तय किया गया है।
14 खरीद केंद्रों की बोहनी तक नहीं
जिले के 14 सरकारी खरीद केंद्रों की बोहनी तक नहीं हुई है। 37 दिनों में जिले के 14 खरीद केंद्रों पर अभी तक गेहूं का एक भी दाना नहीं खरीदा गया है। इन खरीद केंद्रों से किसान लगातार दूरी बनाए हुए हैं। खरीद समाप्त होने में अभी 54 दिन शेष बचे हुए हैं।
आढ़त पर किसानों का हर तरह का गेहूं खरीदा जा रहा है। किसानों के रुकने के लिए और पानी पीने के लिए आढ़त पर पूरी व्यवस्था की गई है। इससे किसान आढ़त पर ज्यादा आ रहे हैं।
कमलेश कुमार, आढ़ती
गेहूं बेचने के लिए आने वाले किसान को तत्काल भुगतान किया जाता है। उसकी जरूरत होने पर अग्रिम भुगतान भी कर दिया जाता है। अन्नदाता किसान को आढ़त पर हर सुविधा दी जाती है।
राजवीर सिंह, आढ़ती
सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए तमाम औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। आढ़त और सरकारी खरीद केंद्र के रेट में ज्यादा अंतर नहीं है। ऐसे में परेशानी का सामना क्यों किया जाए।
बारेलाल, किसान
खरीद केंद्रों पर सुविधाओं का अभव रहता है। भुगतान खाते में होता है वह भी देरी से होता है। आढ़त पर किसान को जल्दी और किसान की मर्जी से ही आढ़तिया भुगतान कर देता है। रवी कुमार, किसान
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