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मैनपुरी। मनरेगा में पहले अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए नियम विरुद्ध निर्माण सामग्री का भुगतान किया। उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में मैनपुरी निर्माण सामग्री के भुगतान में टॉप पर पहुंच गया है। वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में ही 15 करोड़ से अधिक रुपये निर्माण सामग्री पर बकाया है। अब खुद को बचाने के लिए जिम्मेदारों ने एक दिन में पांच करोड़ के बिल कर्मचारी लगाकर डिलीट करा दिए। शासन की आंखों में धूल झोंकने के लिए ये पूरा खेल किया जा रहा है। मनरेेगा योजना के तहत प्राप्त होने वाली धनराशि का केवल 40 प्रतिशत अंश ही निर्माण सामग्री पर खर्च करना होता है। लेकिन इसके विपरीत जिले में 56 प्रतिशत तक निर्माण सामग्री मद पर भुगतान किया गया है। इसके चलते जिला उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में निर्माण सामग्री पर भुगतान पर टॉप पर पहुंच गया है। ऐसे में अब जिम्मेदारों को कार्रवाई का डर सता रहा है। खुद को बचाने के लिए अब जिम्मेदारों ने एक नया खेल शुरू कर दिया है। शनिवार को सभी एपीओ मनरेगा, लेखाकार मनरेगा और ब्लॉक ऑपरेटर को मनरेगा सेल में सुबह दस बजे बुलाया गया। सभी को एक साथ बैठाकर भुगतान के लिए ऑनलाइन फीड किए गए साढ़े पांच करोड़ के बिल डिलीट कराए गए। दरअसल वर्तमान वित्तीय वर्ष में जिले में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों पर निर्माण सामग्री का 15 करोड़ से अधिक बकाया है। अगर ये भुगतान वर्तमान वित्तीय वर्ष में जुड़ गया है तो निर्माण सामग्री पर खर्च में मैनपुरी सभी नियमों को तोड़ते हुए देश में टॉप पर पहुंच जाएगा।
इससे बड़े-बड़े अधिकारियों की कुर्सी भी खतरे में पड़ जाएगी। इसे देखते हुए ऐसे बिल जो केवल फीड थे, उन्हें डिलीट करा दिया गया। वहीं बाकी बचे लगभग दस करोड़ रुपये के बिल पर डीएससी लगने के चलते वे डिलीट नहीं कराए जा सकेंगे। उन्हें तभी डिलीट किया जा सकेगा, जब शासन से भुगतान के लिए वेबसाइट खोली जाएगी।
शासन की आंखों में झोंक रहे धूल
मनरेगा में सारे नियम तोड़ने और फर्जीवाड़ा करने के बाद शासन की आंखों में धूल झोंकने की फूलप्रूफ तैयारी की गई है। इसके चलते एक साथ सभी एपीओ, लेखाकार और ऑपरेटर को बैठाकर बिल डिलीट कराए गए हैं। वित्तीय वर्ष बीतने पर दोबारा इन बिल को फीड करके भुगतान करा लिया जाएगा। तब इस फर्जीवाड़े की किसी को कानों-कान खबर तक नहीं होगी।
बिना कार्य के ही निकाला है भुगतान
मनरेगा में केवल सामग्री मद पर ही नियम विरुद्ध धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, बल्कि बिना कार्य के भी भुगतान निकाला गया है। अमर उजाला ने इसका खुलासा किया था। इसके बाद कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा व उच्चाधिकारियों की नींद उड़ गई है। कुछ जगह जहां कार्य कराए जाने के लिए पुरजोर ताकत लगाई जा रही है तो वहीं कुछ जगह जांच को मैनेज करने की तैयारी शुरू हो गई है।
वर्जन
मनरेगा के सभी प्रकार के भुगतान पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है। निर्माण सामग्री मद पर अधिक भुगतान की जांच कराई जा रही है। बिल क्यों डिलीट कराए गए, इसकी जानकारी की जाएगी। अगर कोई गड़बड़ी हो रही है तो कार्रवाई होगी।
-विनोद कुमार, मुख्य विकास अधिकारी।
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