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मेरा बेटा कभी न जागने वाली नींद में सो गया… सिसक ती और फिर चीख निकल पड़ती. बेटे के विलाप में बिलखती मां बेहोश हो जाती. वहीं नाती को एक सफेद चादर में लिपटे देखा तो बुजुर्ग दादा- दादी भी बेसुध से हो गए. उनकी आंखों के सामने आज उस इंजीनियर बेटा दीपक की लाश आई जिसे वह हंसता मुस्कुराता हुए देखते थे. इंजीनियर दीपक मखीजा का शव पुडुचेरी से देर-शाम आवास-विकास पहुंच गया. शाम छह बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. घटना से आहत स्थानीय लोग भी परिवर के साथ शोक में रहे.
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