[ad_1]
क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें गिरीं।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा शहर में बीसीए पास युवक साइबर ठगों का गैंग चला रहा था। क्रिप्टोकरेंसी में 80 फीसदी तक मुनाफे का झांसा देकर 10 करोड़ की ठगी कर ली। गैंग के सदस्य इंस्टाग्राम-टेलीग्राम पर चैनल बनाकर प्रमोशनल वीडियो व मैसेज भेजकर देश-विदेश के सैकड़ों लोगों को जाल में फंसाते थे। पुलिस से बचने के लिए रकम भी क्रिप्टोकरेंसी में लेते थे। गैग के मास्टरमाइंड सहित 3 को गिरफ्तार कर यह खुलासा किया गया है।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि सिकंदरा पुलिस और साइबर सेल की टीम को बाइनेंस, मेटा ट्रेडर्स 4 ट्रेडिंग फोरेक्स व मेटा ट्रेडर्स 5 ट्रेडिंग फोरेक्स के माध्यम से ट्रेडिंग कराकर सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी की जानकारी मिली थी। फर्जी कंपनी के नाम से इंस्टाग्राम पर आईडी और टेलीग्राम चैनल बनाकर लोगों को ऑफर दिए जा रहे थे। मुकदमा दर्ज कर जांच की गई। मंगलवार को शास्त्रीपुरम निवासी अमन राघव, आवास विकास निवासी यशवीर और लखनऊ के इंंद्रानगर थाना क्षेत्र स्थित मऊ रोड निवासी सम्राट को गिरफ्तार किया है।
दोस्त से सीखा ठगी का तरीका
अमन राघव बीसीए पास है, जबकि सम्राट ने लखनऊ के काॅलेज से इंजीनियरिंग की है। यशवीर स्नातक है। अमन ने बताया कि तीनों ने एक ही कान्वेंट काॅलेज से इंटरमीडिएट किया है। उनका दोस्त उत्कर्ष है। वह साइबर ठगी करता था। वह ठगों का गैंग चला रहा था। उसने 40 लोगों को ठगी की ट्रेनिंग दी थी। वह कई लोगों से धोखाधड़ी करने के बाद फरार हो गया। उससे सीखकर वो ठगी करने लगा।
एजेंट का 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी
सम्राट और यशवीर एजेंट हैं। अमन ने टेलीग्राम पर फर्जी चैनल और इंस्टाग्राम पर आईडी बना रखी थीं, जिससे लोगों को जाल में फंसाते थे। उन्होंने ड्रीमर्स कार्ट नाम से कंपनी का जीएसटी पंजीकरण भी करा रखा था। मगर, कंपनी का करंट खाता नहीं खोला। सम्राट और यशवीर सोशल मीडिया से ग्राहक लाते थे। अमन उन्हें कमीशन के रूप में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी देता था।
बनाते थे फर्जी प्रमोशनल वीडियो
सम्राट व यशवीर सोशल मीडिया एकाउंट पर क्रिप्टोकरेंसी की फर्जी प्रमोशनल वीडियो शेयर करते थे। लोगों के तैयार होने पर अपने बैंक खातों में रकम नहीं लेते थे। इसके लिए बाइनेंस, मेटा ट्रेडर्स 4 ट्रेडिंग फोरेक्स और मेटा ट्रेडर्स 5 ट्रेडिंग फोरेक्स के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन कराते थे। इसके बाद ट्रेडिंग कंपनी के माध्यम से खाते में रकम आ जाती थी।
न रकम मिली, न ही पीड़ित
पुलिस ने हाल ही में कई बड़ी साइबर धोखाधड़ी का खुलासा किया। मगर, खुलासे के दौरान यह नहीं बताया कि आरोपियों के कितने खाते मिले। इनमें कितनी रकम मिली। इसके साथ ही जिन लोगों से धोखाधड़ी की गई, वो कौन लोग हैं। ठगी के शिकार लोगों से तहरीर लेकर मुकदमे तक दर्ज नहीं किए गए।
[ad_2]
Source link