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बर्खास्त
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में विभाग में मनचाही तैनाती के लिए एक कर्मचारी को नेताजी की सिफारिश करानी महंगी पड़ गई। रेलवे ने इसे सेवा नियमों के खिलाफ मानते हुए जांच की। आरोप साबित होने के बाद रेलवे ने कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया। इसे अन्य कर्मचारियों में चर्चाओं का दौर जारी है।
अनुशासनहीनता मानते हुए कराई जांच
आगरा मंडल के टीआरडी (ट्रैक्शन डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट) में सेवारत सहायक पूजा कुमारी ने फील्ड वर्क के बजाय विभागीय कार्य के लिए प्रार्थनापत्र दिया था। इन पर आरोप है कि मनचाही तैनाती नहीं मिलने पर इन्होंने विधायक-सांसद से सिफारिश करवाते हुए अधिकारियों पर दबाव बनवाया। रेलवे ने इसे सेवा नियमों के खिलाफ और अनुशासनहीनता मानते हुए इसकी जांच कराई।
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सेवा नियमों के खिलाफ पाया दोषी
जांच अधिकारी ने आरोपों को सही पाते हुए कर्मचारी को सेवा नियमों के खिलाफ काम करने का दोषी पाया। इस पर रेलवे ने रेल सेवक (अनुशासन और अपील) नियम 1968 के तहत उनको रेल सेवा से हटा दिया है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि रेल सेवा के नियमों में ऐसा प्रावधान है। इसके तहत उनको नौकरी से हटाया गया। कर्मचारी पूजा कुमारी का कहना है कि वे इस मसले पर कुछ नहीं बोलना चाहती हैं।
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