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साथ जीने मरने की कसमें खाईं
इसके बाद धीरे-धीरे बातें बढ़ने लगीं और यह सिलसिला ऑनलाइन से निकलकर ऑफलाइन तक आ गया। दोनों ने एक दूसरे को अपना मोबाइल नंबर साझा किया और फोन कॉल पर बात करने लगे। उनकी यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई। शायद उन्हें खुद भी नहीं पता चला। इसके बाद उन्होंने साथ जीने मरने की कसमें खाईं।
अपना शहर छोड़कर प्रेमी के पास आ गई
नरगिस को बातचीत के दौरान पता था कि आलोक हिंदू लड़का है। वह इसके शहर का भी नहीं है। दरअसल, नरगिस आगरा की रहने वाली है और आलोक मैनपुरी का। नरगिस ने आलोक के साथ जिंदगी बिताने का निर्णय लिया। एक दिन वह हिम्मत करके अपना शहर छोड़कर आलोक के पास आ गई।
पिता मानसिक रूप से प्रताड़ित करते
नरगिस ने बताया कि यह बात उनके पिता को पता चली तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद दबाव बनाकर वापस अपने साथ ले गए। इसके बाद उनका बर्ताव बहुत बदल गया। वह उसे पीटते थे। ताना मारते और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते। इससे परेशान होकर उसने फिर से आलोक के पास जाने का मन बनाया।
नाम और धर्म भी हमेशा के लिए त्याग दिया
मंगलवार को वह दृढ़ संकल्पित होकर घर से निकली और मैनपुरी पहुंच गई। यहां आलोक उसका इंतजार कर रहा था। दोनों प्रसिद्ध माता शीतला देवी मंदिर पहुंचे और यहां सात फेरे लिए। इसके बाद आलोक ने नरगिस की मांग में सिंदूर भरा। जीवन के इस नई शुरुआत के साथ नरगिस ने अपना नाम और धर्म भी हमेशा के लिए त्याग दिया। अब वह ‘निक्की’ बन गई।
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