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आगरा नगर निगम
– फोटो : अमर उजाला
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ताजनगरी आगरा में 34 साल से कमल का तिलिस्म कायम है। नगर निगम में 1989 से 2017 तक छह बार कमल खिला। मेयर चुनाव में कोई दूसरा दल सफल नहीं हो सका। हाथी ने कमल को टक्कर जरूर दी, लेकिन कभी मेयर नहीं बना। साइकिल और हाथ का पंजा तीसरे और चौथे स्थान पर रहे है। इस बार पहली बार आम आदमी पार्टी भी नगर निगम में ताल ठोक रही है।
नगर निगम में पहली बार भाजपा की जड़ जनसंघ के नेता रमेशकांत लवानियां ने 1989 में जमाईं। अनारक्षित सीट पर 1995 तक वह छह साल मेयर रहे। दूसरी बार अनारक्षित वर्ग से 2017 में नवीन जैन मेयर चुने गए।
1995 में पहली अनुसूचित वर्ग की महिला के रूप में बेबीरानी मौर्य मेयर पद पर जीतीं। 1989 से 2017 तक छह बार हुए चुनावों में दो बार अनुसूचित वर्ग की महिलाएं, दो बार अनुसूचित वर्ग के पुरुष और दो बार अनारक्षित वर्ग से पुरुष ही भाजपा से मेयर बने हैं। मेयर पद पर अनुसूचित वर्ग की महिला को तीसरी बार मौका मिलेगा।
पिछले साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जहां समाजवादी पार्टी इस बार मेयर पद को लेकर उत्साहित है। मुस्लिम, पिछड़ा और अनुसूचित वर्ग को लेकर साइकिल समीकरण बनाने में जुटी है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी का हाथी भी चिंघाड़ने को आतुर है।
कांग्रेस अपनी जमीन तैयार करने में जुटी है, तो आम आदमी पार्टी भी इस बार चुनाव में अन्य दलों का गणित बिगाड़ सकती है। सपा, बसपा, कांग्रेस और आप के सामने नगर निगम में कमल का तिलस्म तोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है। किसे कितनी सफलता मिलेगी यह 13 मई को मतगणना के बाद पता चलेगा।
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