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'तेज धमाका हुआ और लपटों ने कोच को घेर लिया'. 'कोच में लगी ट्यूबलाइट ब्लिंक कर रही थी, तभी धमाके के साथ चिंगारी उठी और आग फैल गईÓ. 'धमाके जैसी तेज आवाज आई, धुआं दिखा, ट्रेन से उतरते ही देखा तो कोच लपटों में घिरा हुआ थाÓ. ये उन पैसेंजर्स के दौरान कहीं बातें हैं, जिन्होंने चंद घंटे पहले ही जलती ट्रेन में मौत को मात दी थी. पातालकोट एक्सप्रेस की लपटें भले ही बुझ गईं हों, लेकिन एक बड़ा सवाल छोड़ गई हैं कि आखिर पातालकोट सुलगी कैसे?
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