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इंडिया में रास्ता तो हर कोई दिखाता है. लेकिन ताजनगरी में टूरिस्ट को डेस्टिनेशन तक पहुंचाने से लेकर घर विदा कराने तक की जिम्मेदारी ली जाती है. और ऐसा हो भी क्यों न? जब रास्ता बताने, शॉपिंग कराने, खाना खिलाने के लिए मोटा कमीशन मिल जाता हो. कोई अच्छा टूरिस्ट का दल मिल जाए तो यह कमीशन लाखों तक पहुंच जाता है.
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