Wednesday, January 8, 2025
Home Agra टूटी परंपराः विधवा और बेसहारा माताओं की बेरंग जिंदगी में बिखरे होली के रंग, राधा गोपीनाथ बने इसके साक्षी – Widows And Destitute Mothers Played Holi Of Colors In Radha Gopinath Temple In Vrindavan At Mathura

टूटी परंपराः विधवा और बेसहारा माताओं की बेरंग जिंदगी में बिखरे होली के रंग, राधा गोपीनाथ बने इसके साक्षी – Widows And Destitute Mothers Played Holi Of Colors In Radha Gopinath Temple In Vrindavan At Mathura

by amitsagar
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उत्तर प्रदेश के मथुरा में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर नई लीक रखी गई। यहां सोमवार को वृंदावन के आश्रय सदनों में रह रहीं विधवा और बेसहारा माताओं ने रंगों की होली खेल अपने बेरंग जीवन में रंग भरने का प्रयास किया। वृंदावन का राधा गोपीनाथ मंदिर सदियों पुरानी परंपरा के टूटने का फिर साक्षी बना।

सोमवार की दोपहर को फूलों और गुलाल से होली खेली गई। इस होली के दौरान विधवाओं का उत्साह उनकी खुशी का इजहार कर रहा था। होली के भजन और गीतों की धुन पर नृत्य करतीं विधवाओं को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने अपनी अतीत की जिंदगी के काले पल को पीछे छोड़ दिया है। होली में सैकड़ों किलो विभिन्न प्रकार के फूलों से बने रंग बिरंगे गुलाल को उड़ाया।



ज्ञात हो कि विधवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संस्था सुलभ इंटरनेशनल कार्य कर रही है। विधवा और बेसहारा माताओं के इस प्रयास में संस्था सहयोगी बनकर सामने आई। संस्था की ओर से वृंदावन के सप्त देवालयों में से एक राधा गोपीनाथ मंदिर प्रांगण में फूलों और गुलाल का होली महोत्सव आयोजित किया गया।

संस्था के संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक ने कहा कि विधवा और निराश्रित महिलाओं की जिंदगी में नए रंग भरने का मौका लाकर सुलभ ने समाज को यह संदेश देने की कोशिश की है। ये माताएं भी समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जितने दूसरे लोग। उन्होंने कहा कि सुलभ इंटरनेशनल वृंदावन की विधवा और निराश्रित महिलाओं की देखभाल के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। राधा गोपीनाथ मंदिर के सेवायत राजा गोस्वामी ने कहा कि वृंदावन की होली अपने आप में दिव्य है। 


बिमलादासी ने बताया कि यह बहुत ही अच्छा अनुभव है। वह आश्रय सदन में रहकर प्रभु भक्ति कर रहीं हैं। अपने बेरंग जीवन में होली के रंग में रंगकर आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद का अनुभव हुआ है।

सबितादासी ने बताया कि विधवा रूप में होली खेलने की सोचना भी जिस देश में पाप माना जाता हो वहां ऐसा करना किसी आश्चर्य से कम नहीं था। बदलते समय में खुद को बदलना साहसिक काम है। जो हम विधवाओं ने सुलभ इंटरनेशनल द्वारा कर दिखाया।

आशादासी ने बताया कि भगवान ही उनके आश्रय हैं। वैसे तो हर वर्ष वे अपने तरीके से होली खेलती थीं, लेकिन एक नए आध्यात्मिक अंदाज में होली का आनंद लिया। 


होली में पहुंचीं 104 वर्ष की कनकलता

गोपीनाथ मंदिर में आयोजित होली में जब 104 वर्ष की कनकलता का आगमन हुआ तो विदेशी भक्तों ने उन्हें घेर लिया। सब उनसे उनका हाल जानने के लिए पहुंचे। 


अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया और थाइलैंड से आए भक्त

आश्रय सदनों में रहने वाली विधवा और निराश्रित महिलाओं की होली में शामिल होने के लिए विदेशी पर्यटक भी बड़ी तादात में पहुंचे। अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया और थाइलैंड से आए भक्त आए और होली में शामिल हुए। विदेशी पर्यटकों ने होली खेली और रंग में खुद को रंग लिया।


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