[ad_1]
केंद्रीय कारागार आगरा
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक और पूर्व चिकित्साधिकारी के बीच का विवाद डीजी कारागार तक पहुंच गया है। मामले में जांच की जा रही है। केंद्रीय कारागार के पूर्व चिकित्साधिकारी डाॅ. कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया था कि वरिष्ठ अधीक्षक ने अपने कार्यालय में बुलाकर अतिरिक्त आहार के पुराने कागजात पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया। इन पर अतिरिक्त नाम लिखे हुए थे। हस्ताक्षर के लिए मना करने पर अभद्रता की। बंदियों से पिटवाने की धमकी दी। उन्होंने मामले की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर की।
उधर, वरिष्ठ जेल अधीक्षक आरके मिश्र का कहना है कि पूर्व चिकित्साधिकारी की गतिविधि संदिग्ध थी। वह उच्च सुरक्षा बैरक में बंद कश्मीरी और पाकिस्तानी बंंदियों से नजदीकियां बढ़ा रहे थे। इसलिए सीएमओ से शिकायत की। चिकित्साधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया। पूर्व चिकित्साधिकारी और वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने अपने ऊपर लगे आरोप गलत बताए हैं। उधर, मामले की शिकायत डीजी कारागार एसएन साबत तक पहुंची है। उन्होंने विस्तृत जांच के आदेश किए हैं। तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ये भी पढ़ें – Atiq Ahmad Killed: अतीक-अशरफ पर गोलियां दागने वाला अरुण कौन है? हमलावर की चाची ने बताई ये कहानी
खुद कर्मचारी लेकर आए थे बंदी
डाॅ. कुमार गुप्ता ने बताया कि नौ अप्रैल की शाम को ओपीडी के बाद जेल कर्मी एक बंदी को तबीयत खराब होने के कारण लाए थे। उन्हें नहीं पता था कि बंदी कश्मीरी है। बंदी का रक्तचाप बढ़ा हुआ था। उसे दवा दीं। इसी बीच दूसरे बंदी को स्ट्रेचर पर लाए। उसकी हालत गंभीर थी। बंदियों को उपचार के बाद दोबारा बैरक ले जाया गया। बंदियों के उपचार की जानकारी जेल प्रशासन को दी थी। कश्मीरी और पाकिस्तानी बंदियों से सांठगांठ के आरोप गलत हैं।
बंदियों को कर दिया था रेफर
वरिष्ठ जेल अधीक्षक आरके मिश्र का कहना है कि नौ अप्रैल की रात को चिकित्साधिकारी ने कश्मीरी और पाकिस्तानी बंदियों को जिला अस्पताल रेफर करने के बारे में बताया था। पुलिस की सुरक्षा के बगैर बंदी नहीं भेजे जा सकते थे। मगर, दो घंटे बाद ही पता चला कि बंदी सामान्य रूप से बात कर रहे थे, जबकि उन्हें कोई दवा नहीं दी गई। उन्हें भर्ती भी नहीं किया गया। संदिग्ध गतिविधि पर चिकित्साधिकारी की सीएमओ से शिकायत की थी।
[ad_2]
Source link