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केंद्रीय कारागार आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय कारागार आगरा के पूर्व चिकित्सा अधिकारी डाॅ. कुमार गुप्ता और वरिष्ठ अधीक्षक आरके मिश्र में ठन गई है। डाॅ. कुमार गुप्ता ने बंदियों के अतिरिक्त आहार में घपले का आरोप लगाया है। उन्होंने आईजीआरएस पोर्टल और डीजी कारागार से शिकायत की है। वहीं वरिष्ठ अधीक्षक ने डाॅक्टर की गतिविधियां संदिग्ध बताते हुए उनकी नजदीकियां कश्मीरी और पाकिस्तानी बंदियों से बताई है।
पुष्पांजलि एनआरआई सिटी निवासी डाॅ. कुमार गुप्ता केंद्रीय कारागार में 25 अगस्त 2022 से 10 अप्रैल 2023 तक चिकित्सा अधिकारी रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि 10 अप्रैल को वरिष्ठ अधीक्षक ने अपने कार्यालय में बुलाया। तीन-चार दिन के अतिरिक्त आहार के कागजों पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया। पुरानी तारीखों पर जारी किए गए थे।
अतिरिक्त आहार चिकित्सक के लिखने पर वृद्ध, बीमार बंदियों को दिया जाता है। जिन पर हस्ताक्षर करने के लिए बोला गया, उन पर अतिरिक्त संख्या में लोगों के नाम लिखे थे। फर्जी कागजों पर पुरानी तारीखों में हस्ताक्षर करने से मना करने पर डिप्टी जेलर ने अभद्रता की। हाथापाई पर उतारू हो गए। बंदियों से पिटवाने की धमकी दी। ऑफिस में कोई कैमरा नहीं था। वह जेल से बाहर निकल गए।
सर्किल में जाने पर थी पाबंदी
डाॅ. कुमार गुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि उन्होंने प्रकरण के बाद सीएमओ से स्थानांतरण की गुहार लगाई। जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधीक्षक ने कई बार धमकाया था। उनके सर्किल में जाने पर पाबंदी लगा रखी थी, जबकि जेल मैनुअल में ऐसा नहीं है। वह खाना चेक कर सकते हैं। उन्होंने अतिरिक्त आहार और गल्ला गोदाम के रजिस्टरों की जांच की मांग की।
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डाॅक्टर की गतिविधियां संदिग्ध
मामले में केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक का कहना है कि डाॅ. कुमार गुप्ता की गतिविधियां संदिग्ध थीं। वह हाई सिक्योरिटी बैरक में कश्मीरी और पाकिस्तानी बंदियों से मिल रहे थे। नौ अप्रैल को एक कश्मीरी और एक पाकिस्तानी बंदियों की हालत गंभीर बताई। उन्हें जिला अस्पताल रेफर करने के लिए कहा। उनसे जेल अस्पताल में ही उपचार की सलाह दी थी, जबकि उन्होंने बंदियों को भर्ती नहीं किया था। उन्हें बताया कि जेल गार्द नहीं, बल्कि पुलिस गार्द मिलने पर भेजा जा सकता है। तब तक यहीं इलाज करें।
दो घंटे बाद डॉक्टर ने दवाओं से ठीक होने के बारे में लिख दिया, जबकि कोई दवा नहीं दी गई थी। इस पर सीएमओ को जानकारी दी गई। पूर्व में भी संदिग्ध गतिविधि पर पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी। इस पर रिलीव होने के बाद आरोप लगा रहे हैं। पुरानी तिथियों के कागजों पर हस्ताक्षर करने के आरोप गलत हैं।
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क्या होता है अतिरिक्त आहार
जेल अधिकारियों के मुताबिक, जेल अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सक और सामान्य चिकित्सक रहते हैं। बीमार बंदियों को चिकित्सक की सलाह पर अतिरिक्त आहार दिया जाता है। इनमें दूध, अंडा सहित अन्य आहार शामिल होता है। यह खुद चिकित्सक ही लिखते हैं। जेल प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं होता है। यह उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जेल के कर्मचारियों की होती है।
जेल प्रशासन के आरोप गलत
डाॅ. कुमार गुप्ता का कहना है कि पुरानी तिथियों में जारी अतिरिक्त आहार के कागजों पर हस्ताक्षर कराए जा रहे थे। कार्यालय में बुलाकर वरिष्ठ अधीक्षक ने दबाव बनाया। कश्मीरी और पाकिस्तानी बंदियों से नजदीकी के आरोप गलत हैं।
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