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सिद्ध श्री ‘त्रिनेत्र हनुमानजी’ और लंगड़े की चौकी स्थित हनुमान जी
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर…..’ तीनों लोकों को उजागर करने वाले बजरंगबली को कोई हनुमान कहता है तो कोई महावीर। भक्त उन्हें कई अन्य नामों से भी पुकारते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पर शहर के सभी हनुमान मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है।
मंदिरों में भव्य तरीके से हनुमान जी का श्रंगार किया गया है। वहीं आगरा के वजीरपुरा स्थित प्राचीन सिद्ध हनुमान मंदिर (बड़े पंडित जी का मंदिर) की अपनी महत्ता है। इस मंदिर के कपाट साल में सिर्फ एक बार ‘हनुमान जन्मोत्सव’ पर खुलते हैं। कन्नो गुरू महाराज बताते हैं कि यह मंदिर कुएं के ऊपर स्थित है।
मंदिर में त्रिनेत्र वाले हैं हनुमान जी
इस मंदिर के पट रहने के पीछे बड़ा ही अद्भुत कारण है। महाराज बताते हैं कि यह मंदिर अति तेजवान है। कोई भी भक्त ज्यादा देर तक हनुमान जी के तेज को सह नहीं पाएगा। इसलिए इसके कपाट बंद रहते हैं। यह मंदिर 200 वर्ष से भी अधिक पुराना है। मंदिर में हनुमान जी त्रिनेत्र वाले हैं, जो अद्भुत है।
मंदिर का जीर्णोद्धार कभी पूरा नहीं होता
वजीरपुरा स्थित प्राचीन सिद्ध हनुमान मंदिर के महंत कन्नो गुरु महाराज ने बताया यह मंदिर 200 वर्ष पहले जैसा था आज भी वैसा ही बना हुआ है। जब भी मंदिर का जीर्णोद्धार करना चाहा, वह काम रुक जाता है। मंदिर के बगल में बेलपत्र के पेड़ के नीचे का चबूतरा कई समय से टूटा हुआ है, लेकिन वह भी आज तक हम लोग नहीं बनवा पाए। अन्य लोगों ने भी प्रयास किया, पर कभी कार्य पूरा नहीं हो पाया।
सोने के वर्क का किया जाता है श्रंगार
महंत पंडित दाऊ दयाल शर्मा ने बताया कि सेंट जोंस चौराहा स्थित श्रीसिद्धेश्वर हनुमान मंदिर में कई सालों से सोने के वर्क का ही श्रंगार होता आ रहा है। मंदिर के महंत पंडित दाऊ दयाल शर्मा ने बताया कि मंदिर की स्थापना बुधदेव शर्मा जी के द्वारा कराई गई थी। तभी से नमक की मंडी में भक्तों के सहयोग से पांच ग्राम सोने से वर्क तैयार होता है। उसके बाद हनुमान जी का श्रंगार होता है।
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