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पति मजदूरी करते हैं. पाई-पाई जोड़कर मैं किसी तरह हजार रुपए महीने जमा करती थी. इस उम्मीद के साथ कि चार बिटिया हैं, कुछ रुपए इकट््ठा हो जाएंगे तो उनकी शादी के काम आएंगे. तीन वर्ष तक रुपए जमा करने के बाद अचानक पता लगा कि कंपनी का ऑफिस बंद हो गया है. कई जगह चक्कर लगाए. जिसने खाता खुलवाया था, उसको तलाशा लेकिन सभी गायब मिले. अब अपने रुपए के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इतना कहते ही हाथ में कई कागज लिए तहसील परिसर में बैठीं पिंकी का गला भर आता है.
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