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घड़ियालों के लिए चंबल मुफीद
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिसंबर 2017 के सर्वे के अनुसार संसार की अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल घड़ियालों के संरक्षण के लिए चंबल नदी को सबसे मुफीद माना गया है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शेड्यूल वन के तहत इनको संरक्षित किया गया है। घड़ियाल वर्ष में एक बार सर्दियों में प्रजनन करते हैं।
बाढ़ से बदल गए ठिकाने
अगस्त में आई चंबल नदी की बाढ़ से घड़ियालों के ठिकाने बदल गए हैं। रेंजर के मुताबिक बाढ़ के पानी के साथ घड़ियाल डाउन स्ट्रीम में बहकर इटावा के पचनदा तक पहुंच जाते हैं। पानी घटने पर वापसी करते हैं। इस दौरान इनके ठिकाने प्रभावित होते हैं। बाढ़ से स्थान परिवर्तन हो जाने से घड़ियालों के यौन व्यवहार में परिवर्तन की संभावना रहती है।
संकटग्रस्त जीवों की सूची में घड़ियाल
दुनियाभर में घड़ियालों की प्रजाति संकटग्रस्त जीवों की सूची में है। घड़ियालों की 80 फीसदी आबादी चंबल नदी में मौजूद है। चंबल नदी में वर्ष 1979 से घड़ियालों का संरक्षण हो रहा है। हर साल इनकी गणना होती है।
नदी में भी प्राकृतिक हैचिंग
एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंक्चुरी चंबल है। पहले घड़ियालों के अंडे हैचिंग के लिए कुकरैल प्रजनन केंद्र लखनऊ भेजे जाते थे। अब करीब 10 बरसों से चंबल नदी में भी प्राकृतिक हैचिंग हो रही है। नेस्टिंग और हैचिंग के समय चंबल में वन विभाग की ओर से विशेष निगरानी की जाती है।
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