Wednesday, January 8, 2025
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घड़ियालों के लिए मुफीद चंबल:10 वर्षों में ढाई गुना बढ़ी संख्या, तेजी से बढ़ रहा जलीय जीव का कुनबा – Alligators Increasing In Chambal River Bah Agra News

by amitsagar
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आगरा जनपद के बाह क्षेत्र में बहने वाली चंबल नदी घड़ियालों के लिए काफी मुफीद है। नदी में घड़ियालों का कुनबा साल दर साल बढ़ रहा है। 2021 में इनकी संख्या 2176 पहुंच गई थी। अब जनवरी के पहले सप्ताह तक घड़ियालों का प्रजनन सीजन चलेगा। उसके बाद नेस्टिंग होगी। इसके मद्देनजर वन विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है।  इस दौरान चंबल नदी के किनारे धूप सेंकते घड़ियालों की सुरक्षा के लिए वन विभाग भी सचेत हो गया है। 

बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि मार्च से चंबल की बालू में इनकी नेस्टिंग शुरू होगी। 60 से 80 दिन बाद जून में हैचिंग होगी। एक नेस्ट में मादा 35-60 अंडे देती हैं। जीपीएस से लोकेशन को ट्रेस किया जाता है। उन्होंने बताया कि 2019 में 1876 घड़ियाल थे, बाढ़ के प्रभाव के चलते 2020 में इनकी संख्या 1859 रह गई। जबकि 2021 में बढ़कर 2176 घड़ियाल हो गए। 

घड़ियालों के लिए चंबल मुफीद

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिसंबर 2017 के सर्वे के अनुसार संसार की अत्यधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल घड़ियालों के संरक्षण के लिए चंबल नदी को सबसे मुफीद माना गया है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शेड्यूल वन के तहत इनको संरक्षित किया गया है। घड़ियाल वर्ष में एक बार सर्दियों में प्रजनन करते हैं। 

बाढ़ से बदल गए ठिकाने

अगस्त में आई चंबल नदी की बाढ़ से घड़ियालों के ठिकाने बदल गए हैं। रेंजर के मुताबिक बाढ़ के पानी के साथ घड़ियाल डाउन स्ट्रीम में बहकर इटावा के पचनदा तक पहुंच जाते हैं। पानी घटने पर वापसी करते हैं। इस दौरान इनके ठिकाने प्रभावित होते हैं। बाढ़ से स्थान परिवर्तन हो जाने से घड़ियालों के यौन व्यवहार में परिवर्तन की संभावना रहती है। 

 

संकटग्रस्त जीवों की सूची में घड़ियाल 

दुनियाभर में घड़ियालों की प्रजाति संकटग्रस्त जीवों की सूची में है। घड़ियालों की 80 फीसदी आबादी चंबल नदी में मौजूद है। चंबल नदी में वर्ष 1979 से घड़ियालों का संरक्षण हो रहा है। हर साल इनकी गणना होती है। 

नदी में भी प्राकृतिक हैचिंग 

एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंक्चुरी चंबल है। पहले घड़ियालों के अंडे हैचिंग के लिए कुकरैल प्रजनन केंद्र लखनऊ भेजे जाते थे। अब करीब 10 बरसों से चंबल नदी में भी प्राकृतिक हैचिंग हो रही है। नेस्टिंग और हैचिंग के समय चंबल में वन विभाग की ओर से विशेष निगरानी की जाती है। 



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