Saturday, January 4, 2025
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गंगाजल की ऐसी बेकदरी मत करो- गंगाजल की ऐसी बेकदरी मत करो

by amitsagar
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अमृत प्रोजेक्ट के तहत
अमृत फेज-3 और 4 के तहत शाहगंज और बोदला के जिन एरियाज में वॉटर सप्लाई का नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया, वहां अब इसकी बेकदरी भी काफी देखने को मिलती है। पर्याप्त मात्रा में पानी की सप्लाई होने से लोग पानी का सड़कों पर छिड़काव करते हैं। कई कनेक्शन तो ऐसे हैं, जिनमें टोटियां ही नहीं लगी हैं। नल आने पर पानी नालियों में बहता रहता है।

शहर में दो वाटरवक्र्स
नगर निगम के 100 वार्ड हैं। इनमें जलकल के 1.80 लाख कनेक्शन हैं। साथ ही शहर में 1100 किमी से अधिक विभाग की ओर से पानी की लाइन बिछाई गई है। मौजूदा समय में बुलंदशहर के पालड़ा से 350 एमएलडी गंगाजल की शहर को सप्लाई होती है। सिकंदरा और जीवनी मंडी वाटरवक्र्स से इसे शहर में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। अमृत प्रोजेक्ट के थर्ड और फोर्थ फेज में आजम पाड़ा बोदला सहित 25 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया था। अब यहां गंगाजल प्रोजेक्ट योजना के तहत सप्लाई शुरू कर दी गई है। यहां करीब 194 करोड़ रुपए से 180 किमी पाइपलाइन बिछाई गई। 22 हजार से अधिक घरों में पानी के कनेक्शन भी किए गए। इससे राममोहन नगर, आवास विकास कॉलोनी सेक्टर एक व तीन के किनारे का हिस्सा, सुभाषपुरम फस्र्ट व सेकेंड, बोदला पुरानी बस्ती, मानस नगर, कलाकुंज, अवधपुरी, अलबतिया रोड, शाहगंज का छूटा हुआ हिस्सा, प्रेम नगर, ईंट की मंडी रोड, शास्त्रीपुरम रोड, गढ़ी भदौरिया, जवाहरपुरम, मारुति वाटिका आदि क्षेत्र में जलसंकट दूर हुआ।

शहर के कई वार्ड में अब भी वाटर सप्लाई नहीं
शहर में गंगाजल को आए पांच वर्ष से ज्यादा समय गुजर चुका है। लेकिन शहर के 45 प्रतिशत एरिया में पाइपलाइन और कोई इंफ्र ास्ट्राक्चर न होने से गंगाजल नहीं पहुंच पा रहा है। शहर में 55 प्रतिशत एरिया में ही पाइपलाइन है। शहर के 100 वार्डों की बात करें तो इनमें से 27 वार्डों में जलापूर्ति के लिए कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर नहीं है। 55 वार्ड ऐसे हैं जिनमें आंशिक रूप से पाइपलाइन है। 18 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें पाइपलाइन है। ऐसे में लोगों को गंगाजल उपलब्ध होने के बाद भी गंगाजल नसीब नहीं हो रहा है।

इन एरिया में नहीं है कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर
शहर की एक चौथाई आबादी 350 एमएलडी गंगाजल उपलब्ध होने के बाद भी पेयजल आपूर्ति से वंचित है। नरीपुरा, अजीत नगर, बारह खंबा, मुस्तफा क्वार्टर, सोहल्ला आदि क्षेत्र में पेयजल वितरण के लिए कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है। लोहामंडी के राजनगर, अशोक नगर, कंस गेट, अहीर पाड़ा घास की मंडी में भी प्रॉपर सप्लाई नहीं हो पाती। उखर्रा, बड़ा उखर्रा, बीच का उखर्रा, हिमाचल कॉलोनी, तख्त पहलवान, सराय मलूक चंद समेत दर्जन भर क्षेत्रों में पाइप्ड पेयजल आपूर्ति हेतु कोई इंफ्र ास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है।

रोज 8-10 पहुंचती है कंप्लेन
जलकल की ओर से शहर को चार जोन में बांटा गया है। इसमें छत्ता, हरीपर्वत, लोहामंडी और ताजगंज शामिल हैं। हर जोन में रोज एक से दो शिकायतें लीकेज की पहुंचती है। जिसे जलकल की टीम की ओर से दुरुस्त कराया जाता है।

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350 एमएलडी शहर में वाटर की होती है सप्लाई
340 एमएलडी शहर में वाटर सप्लाई की डिमांड

– 2018 में दिसंबर में सिकंदरा वाटरवक्र्स पहुंचा था गंगाजल
– 1.80 लाख हैं शहर में जलकल के कनेक्शन
– 1100 किमी से अधिक है शहर में पाइपलाइन
– 4 जोन में जलकल विभाग ने बांटा है शहर
– 100 वार्डों में 20 लाख से अधिक की आबादी
– 20 वार्डों में वॉटर सप्लाई के लिए प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर
– 55 वार्ड में आंशिक रूप से वॉटर सप्लाई के लिए पाइपलाइन
– 25 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें अब भी सप्लाई के प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं
– 194 करोड़ से अमृत प्रोजेक्ट के तहत शाहगंज, बोदला क्षेत्र में कराए कार्य
– 7 ओवरहेड वाटर रिजर्व वायर का निर्माण
– 8 अंडरग्राउंड रिजर्व वायर का कराया गया निर्माण
– 5 हजार से अधिक मोहल्ले शहर में
– 3.75 लाख मकान शहर में

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– जीवनी मंडी वाटरवक्र्स 225 एमएलडी

– सिकंदरा वाटरवक्र्स
144 एमएलडी गंगाजल प्लांट
144 एमएलडी एमबीबीआर प्लांट

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एक जोन में रोज एक से दो लीकेज की शिकायत आती हैं, जिन्हें टीम भेजकर दुरुस्त कराया जाता है।
बब्बन प्रसाद, सचिव, जलकल

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आगरा को गंगाजल मिल रहा है। हमें इसकी कद्र करनी चाहिए। देखते हैं पानी पर्याप्त आ रहा है तो नलों पर टोटियां ही नहीं लगाते। पानी नालियों और सड़कों पर बहता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
ब्रजेश शर्मा

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कुछ वर्ष पहले तक इस शहर ने काफी जलसंकट झेला है। गर्मी आते ही दिक्कत शुरू हो जाती थी। अब गंगाजल मिल रहा है तो इसको बर्बाद करने से बचना चाहिए। आज भी अगर गंगाजल की सप्लाई पालड़ा से बाधित होती है तो शहर में संकट खड़ा हो जाता है।

नरेंद्र
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जिन क्षेत्रों में लोगों को अगर प्रॉपर पानी मिल रहा है तो उन क्षेत्रों के बारे में सोचना चाहिए, जहां भी दिक्कत है। अगर वह पानी बर्बाद नहीं करेंगे, तो अन्य क्षेत्रों को कुछ तो पानी मिल सकेगा।
राजेश

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