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पुलिस आयुक्त कार्यालय, आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में कूड़े के ढेर में मिली बिटिया की हालत में अब सुधार हो रहा है। उसे बेहतर इलाज के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। उसके अपने तो नहीं हैं, लेकिन पुलिस ही देखभाल में लगी है।
रविवार को नवजात बच्ची जीवन नगर, टेढ़ी बगिया रोड पर कूड़े के ढेर में पड़ी मिली थी। पुलिस ने पहुंचकर उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। बाल रोग विशेषज्ञ डा. विजय यादव ने बताया कि भर्ती के समय बच्ची का शरीर ठंडा पड़ा था। ऐसा सुबह से दोपहर तक सड़क पर पड़ा रहने की वजह से हुआ होगा। उसकी सांस और पल्स कम चल रही थी। बीपी भी कम था। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। रक्त चढ़ाया गया। सोमवार को उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ। एसएन मेडिकल काॅलेज रेफर किया गया है।
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पुलिस को नहीं मिल रहा सुराग
पुलिस ने जिस स्थान पर बच्ची मिली थी, उसके आसपास के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज चेक किए। कोई सुराग नहीं मिल सका। थाना ट्रांस यमुना के प्रभारी निरीक्षक आनंद प्रकाश का कहना है कि बच्ची को रविवार तड़के जन्म के कुछ देर बाद ही छोड़ा गया था। आसपास के अस्पतालों का रिकॉर्ड निकाला गया है। पता किया जा रहा है कि हाल ही में किसी अस्पताल में कोई बच्ची तो पैदा नहीं हुई थी।
पहले भी फेंके जाते रहे हैं नवजात
आगरा में यह कोई पहला मामला नहीं है, जबकि किसी नवजात को मरने के लिए सड़क पर फेंका गया है। अस्पतालों के पास अक्सर बच्चों को लोग छोड़कर चले जाते हैं। कई बार नवजात जानवरों के मुंह का निवाला बन जाते हैं तो कई बार राहगीरों की मदद से जान बच जाती है। सितंबर 2018 में लोहामंडी क्षेत्र में एक नवजात मिला था। ट्यूशन पढ़ने जा रहे एक छात्र ने उसे पॉलिथीन देखकर पुलिस को सूचना दी थी। नवंबर 2020 में ट्रांसयमुना काॅलोनी में ही एक नवजात स्कूल के गेट के आगे पाॅलिथीन में मिला था। नुनिहाई की महिला ने उसे उठाया था। अस्पताल ले जाकर नाल कटवाने के बाद घर ले गई थीं। इसके अलावा भी कई बार सड़क, झाडिय़ों में कभी पाॅलिथीन तो कभी कार्टून में नवजात मिल चुके हैं। चाइल्ड लाइन समन्वयक धीरज कुमार ने बताया कि दो साल में 11 नवजात मिल चुके हैं। जिन्हें जीडी एंट्री कराने के बाद मेडिकल कराया जाता है। इसके बाद बाल कल्याण समिति उन्हें आश्रय दिलाती है।
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