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ताजनगरी आने वाला हर वीआईपी खतरे से खेल रहा था. जिस पुल से वह गुजरते थे वह जर्जर हो चुका था. खेरिया-ईदगाह आरओबी की एक साल की और मियाद बची थी, अगर मरम्मत के कार्य नहीं होते तो कोई भी हादसा हो सकता था. एक्सपेंशन ज्वॉइंट बिल्कुल ही गल चुके हैं. बियङ्क्षरग जाम हो गई हैं. सरिया जंग से बेकार हो चुकी हैं.
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