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कासगंज। जिले में बाढ़ खतरा तेजी से बढ़ रहा है। आगामी 1-2 दिनों में यह खतरे का स्तर (डेंजर लेवल) पार कर सकता है। इसे लेकर प्रशासनिक और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अलर्ट जारी किया है। हरिद्वार से सोमवार दोपहर को बढ़ते हुए पानी का प्रवाह 3.56 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। अब बिजनौर बैराज और नरौरा बैराज पर भी डेंजर फ्लड लेवल पानी का प्रवाह बना हुआ है। जिले में बांधों के कटने और क्षतिग्रस्त होने का खतरा बन गया है। सिंचाई विभाग के अलर्ट के बाद लोग बेचैन हैं। काफी पानी गांव की आबादी तक पहुंच गया है। अभी बाढ़ के पानी का स्तर भी बढ़ेगा। गंगा के तटवर्ती सोरोंजी के क्षेत्र से लेकर पटियाली तक के करीब 60 गांव पर बाढ़ का असर पहुंचने लगा है। सोरोंजी क्षेत्र के करीब 15 गांव बाढ़ के प्रकोप में हैं वहीं पटियाली इलाके के करीब 45 से अधिक गांव बाढ़ के प्रकोप में बने हुए हैं।
पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बारिश के बाद से गंगा में उफान बढ़ा है। हरिद्वार के भीमगोंडा बैराज से सुबह के समय 3.24 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह था। यह प्रवाह दोपहर के समय बढ़कर 3.56 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। हरिद्वार से डेंजर लेबल का पानी छोड़े जाने के कारण बिजनौर बैराज पर भी काफी दबाव बढ़ गया। बिजनौर बैराज से 3.70 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह बन गया। नरौरा से सोमवार सुबह 8 बजे 2.09 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह था। यह प्रवाह सायं के समय बढ़ने लगा। मंगलवार को सुबह तक यह पानी डेंजर फ्लड लेबल पर पहुंचने की आशंका बनी हुई है क्योंकि ढाई लाख क्यूसेक का प्रवाह नरौरा से होने के बाद जिले में डेंजर फ्लड की स्थिति बन जाती है।
हरिद्वार और बिजनौर बैराज से 3.5 लाख क्यूसेक से अधिक का प्रवाह होने के बाद नरौरा का प्रवाह भी इन बैराजों के बराबर पहुंच जाएगा। जिससे बाढ़ के विकराल हालात बनने की आशंका है। इन हालातों को देखकर ग्रामीण परेशान हैं। दतलाना के ग्रामीण हरिओम ने बताया कि स्थिति लगातार बिगड़ रही है। एक माह पहले जब बाढ़ का प्रकोप हुआ था उससे अधिक पानी अभी नजर आने लगा है। गांव के प्राइमरी स्कूल, सचिवालय और पश्चिमी हिस्से में काफी पानी भर गया है। दतलाना के बांध को भी खतरा है। वहीं उढ़ेर के शंकरपाल का कहना है कि नगरिया, कछला के बीच रेल लाइन के किनारे पानी पहुंचने लगा है। नगरिया फार्म की ओर बांध कटने का खतरा है। ग्रामीण बेहद परेशान हैं फसलें बर्बाद हो रही हैं।
कटने लगी मूंजखेड़ा की सड़क
कासगंज। गंगा की बाढ़ के पानी का प्रकोप बढऩे से तटीय इलाके की सड़कों के लिए खतरा बन गया है। पहले बदायूं-मैनपुरी हाईवे पर भी सड़क काफी क्षतिग्रस्त हो गई। गहरे गहरे गड्ढे हो गए। मूंजखेड़ा गांव की सड़क जो नरदौली की ओर जाती थी वह पहले ही कट गई। अब दूसरी सड़क जो ग्रामीणों के आवागमन का सहारा था वहां भी सड़क का कटान शुरू हो गया है। ग्रामीणों को डर है कि यह सड़कभी कट गई तो गांव का संपर्क अन्य इलाकों से कट जाएगा।
बरौना गांव में भी पहुंचने लगा बाढ़ का पानी
कासगंज। कटान पीडित बरौना गांव में बरगद की ओर से जाने वाले निचले रास्ते से होकर बाढ़ का पानी गांव में पहुंच गया है। यह पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति बिगड़ रही है। वहीं गांव के अन्य हिस्सों पर भी गंगा का पानी बिल्कुल गांव से लगकर बह रहा है। पानी और बढ़पर गांव में पानी घुसने की उम्मीद है। वहीं कटानरोधी कार्यों के लिए भी उफनाई गंगा की धारा खतरनाक साबित हो सकती है। सिंचाई विभाग के द्वारा बरौना गांव को कटान से बचाने के लिए काफी कटानरोधी कार्य किए गए हैं। अधिक पानी की स्थिति में यह कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
इन गांव तक पहुंचने लगा बाढ़ का पानी
कासगंज। गंगा के बढ़़े हुए जलस्तर से अभयपुरा, रामपुर, ढेलासराय, लहरा, पाठकपुर, दतलाना व इन गांव के आस पास के इलाके में बाढ़ का पानी काफी बढ़ गया है। वहीं नगला उलाई, अजीतनगर, बमनपुरा, सिकंदरपुर ढाव, सुन्नगढ़ी, चकरा, नागर, सहवाजपुर खिदरपुर, उलाईखेड़ा, नगला हंशी, नगला जाटवान, पनसोती, म्यूनी, मेहोल, हिम्मतनगर बझेरा, गठौरा, जिझौल, नगला खुर्द, नगला खिमाई, नगला मनी तक गंगा के पानी की दस्तक पहुंच गई है।
5 साल पहले अधिकतम 2.23 लाख क्यूसेक का नरौरा से हुआ था प्रवाह
कासगंज। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 5 साल पहले वर्ष 2019 में 23 अगस्त को सर्वाधिक 2.23 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह नरौरा बैराज से हुआ था। यह प्रवाह मीडियम फ्लड लेविल का था। इस बार भी जुलाई की बाढ़ के दौरान 2.14 लाख क्यूसेक तक पानी का प्रवाह हुआ था, लेकिन आज मंगलवार को नरौरा से यह प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है। सिंचाई विभाग के मुताबिक 5 साल में इस बार सर्वाधिक पानी आएगा। जिससे बाढ़ के विषम हालात बन सकते हैं।
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