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सुमन ने इंटरमीडिएट में 93 फीसदी अंक हासिल किए।
– फोटो : अमर उजाला
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पिता रंगाई-पुताई का काम करते हैं। कई बार काम भी नहीं मिलता। ऐसा लगा कि पढ़ाई बीच में न रुक जाए। मेरी मायूसी पिताजी बखूबी समझते, कहते तू चिंता न कर तेरी पढ़ाई नहीं रुकने दूंगा। उनके ये शब्द मुझे पढ़ने के लिए और प्रेरित करते। इंटरमीडिएट का परिणाम आया और तंगी के कांटों से पार पाते हुए फूल की तरह ‘सुमन’ महक उठी। उसने इंटरमीडिएट में 93 फीसदी अंक पाए हैं। बेटी की सफलता पर पिता बॉबी की आंखें भर आईं।
उत्तर प्रदेश के आगरा में आरबीएस इंटर कॉलेज की छात्रा सुमन ने बताया कि हमारे परिवार में भाई-बहन समेत पांच सदस्य हैं। पिताजी की कमाई से बमुश्किल खर्च चल पाता। उनकी मेहनत और भरोसे को देख मैंने भी ठान लिया कि अच्छे अंक लाकर पिताजी के सपने पूरा करूंगी। मेरी मां सुधा देवी भी समझाती कि बेटा, तेरे पिता तुम सबको पढ़ाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उनका विश्वास कम नहीं होना चाहिए।
मुफलिसी में पढ़कर फूल की तरह महकी बेटी
बेटी की सफलता पर पिता बॉबी ने यही कहा कि बच्चे तरक्की करें। पढ़े-लिखें तो मां-बाप की सभी परेशानियां छोटी नजर आने लगती हैं। दरअसल, यूपी बोर्ड का दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट मंगलवार को आ गया। छात्र-छात्राएं परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। रिजल्ट आया तो बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी भावुक हो गए। ऐसा ही एक पल था, आगरा के बॉबी के घर का। बेटी ने मुफलिसी में पढ़कर अच्छे अंक पाए थे।
पापा पहुंचाते घर-घर सिलिंडर, गायत्री के आए 87 फीसदी नंबर
पढ़ने का जज्बा हो तो आर्थिंक तंगी भी आपका रास्ता नहीं रोक सकती। दहतोरा की गायत्री ठाकुर की मेधा के आगे मुफलिसी भी हार गई। इनके पिता धन सिंह हॉकर हैं। बिटिया ने हाईस्कूल में 87 फीसदी अंक हासिल किए हैं।
ज्ञान इंटर कॉलेज से फोन आने पर पहुंची और उनके लिए तालियां बजाईं। यह देख गायत्री की आंखें भर आईं। बोली कि पांच बहन, दो भाई हैं। बड़ी बहन की शादी की और हम सभी की पढ़ाई में पिताजी कोई कसर नहीं छोड़ते। घर-घर सिलिंडर पहुंचाकर पसीने से तरबतर होकर घर आते हैं, इतना पैसा नहीं मिलता कि पढ़ाई और घर का खर्च चला सकें।
बच्चे पढ़-लिख जाएं तभी पूरी होगी साधना
कई बार स्कूल की फीस देने के भी लाले पड़ गए। पढ़ाई बीच में छोड़ने की नौबत तक आई, लेकिन जैसे-तैसे कर फीस भरते। पिताजी कहते बेटी मैं तो ज्यादा पढ़ नहीं पाया, लेकिन तुम्हारे लिए कोई कमी नहीं छोड़ूगा। जब मां सीमा देवी को पता चला कि बिटिया के अच्छे अंक आए हैं तो उन्होंने यही कहा कि बस बच्चे पढ़-लिख जाएं, तभी हमारी साधना पूरी होगी।
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