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बड़े मकान और कोठियों में अकेले रह रहे बुजुर्गों की यह कोई पहली घटना नहीं है. ऐसे शहर अन्य क्षेत्रों में लोग हैं जो अकेले ही जीवन यापन करते हैं, वह समाज से पूरी तरह से कट चुके हैं. वह खुद को असहज महसूस करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि शायद बाहर का व्यक्ति उनका फायदा न उठा ले.
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