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आगरा ब्यूरो साबरमती-आगरा कैंट एक्सप्रेस के इंजन से दूसरा जनरल कोच. टॉयलेट का गेट हो या फिर सीढिय़ां. हर जगह पैसेंजर्स बैठे हुए थे. बैग की रैक में कई पैसेंजर लेटे हुए थे. मैं भी एक सीट पर बैठा था. तभी अचानक से तेज झटका लगा. ऊपर बैठे पैसेंजर्स नीचे आकर गिर पड़े. किसी का हाथ दब गया तो किसी का पैर. कोच में चीख-पुकार मच गई. ऐसा लगा मौत छूकर निकल गई. ये शब्द उस पैसेंजर के हैं, जो दुर्घटना के समय में ट्रेन में सवार थे. विक्रम ने बताया कि क्या हुआ, यह नहीं पता. जैसे ही ट्रेन रुकी. पैसेंजर्स में जल्द उतरने की होड़ लग गई. ट्रैक पर पहुंचते ही नजारा देखकर सन्न रह गए. मालगाड़ी और साबरमती के डिब्बे भिड़ चुके थे. इंजन और जनरल कोच पटरी से उतर गए थे.
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