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गीता तीन महीने की थीं, जब उनकी मां और उनके ऊपर तेजाब डाल दिया गया. उनकी आंखें, चेहरा और शरीर जल गया. तभी से गीता हर दिन संघर्ष का सामना करती आई हैैं. हरपल वो समाज और दुनिया से लड़ रही हैं. जिंदगी के सफर में कई बार लड़खड़ाईं लेकिन हिम्मत की और आशाओं को पूरा करने के लिए फिर खड़ी हो गईं.
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