[ad_1]
जिलाधिकारी आगरा कार्यालय
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश के आगरा में सेवला जाट रिहायशी क्षेत्र में एक दर्जन अवैध फैक्टरियां संचालित होती रहीं। दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया। शिकायत पर एक साल तक कार्रवाई नहीं हो सकी। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मामले का संज्ञान लिया। डीएम को कमेटी बनाने के आदेश दिए, तो कार्रवाई से पहले फैक्टरियां खाली होने लगीं। फैक्टरियों में रखे सामान की ढुलाई शुरू हो गई है।
अधिकारियों की फैक्टरियों से रहती सांठगांठ
ग्वालियर रोड, सेवला जाट निवासी राजेंद्र त्यागी ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा पर कॉपर वायर, चमड़ा व क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहीं अन्य फैक्टरियों से सांठगांठ के आरोप लगाए। एडीए व प्रशासन में शिकायत कीं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
डीएम ने कमेटी गठित करने के दिए निर्देश
पीड़ित ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की। प्रदूषण बोर्ड ने हलफनामा लगाते हुए कहा फैक्टरियां व्हाइट कैटेगरी में आती हैं। जिनका संचालन अनुमन्य है। फिर पीड़ित ने एनजीटी में शिकायत की। एनजीटी ने डीएम नवनीत सिंह चहल को कमेटी गठित करने के आदेश दिए।
जांच में काली हो जाएंगी फैक्टरियां
कमेटी गठित होने से पहले ही बुधवार को फैक्टरी संचालकों ने फैक्टरियों को खाली करने के लिए सामान की ढुलाई शुरू कर दी है। एडीएम सिटी अनूप कुमार, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं एडीए की संयुक्त टीम जांच करेगी। याचिकाकर्ता राजेंद्र त्यागी का कहना है कि टीम जब जांच को जाएगी तब तक फैक्टरियां खाली हो जाएंगी।
अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा खेल
टीम लौटने के बाद फिर काम शुरू हो जाता है। पूरा खेल विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। वहीं, क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि तीन बार जांच कर चुके हैं। वहां कुछ नहीं मिला। आरोप निराधार हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो तो 15 से अधिक प्रदूषणकारी फैक्टरियां क्षेत्र में संचालित हैं।
[ad_2]
Source link