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पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं दूसरी ओर एक बेबस पालनहार मां अपनी बेटी को कैद से आजाद कराने की गुहार लगा रही है। वह एक साल से बालगृह में है। बाल आयोग के आदेश के बाद भी उसे आजादी नहीं मिल सकी है। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एक बार फिर मां ने शहीद स्मारक के बाहर प्रदर्शन कर बेटी को आजाद करने की मांग उठाई है।
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यह है मामला
आठ साल पहले एक किन्नर को लावारिस हालत में कुछ घंटे पहले की जन्मी लड़की मिली थी। उसने टेढ़ी बगिया निवासी यशोदा (परिवर्तित नाम) को पालन-पोषण के लिए बच्ची को दे दिया। यशोदा ने मना किया तो किन्नर ने कहा कि न पाल सको तो फेंक देना। मगर यशोदा ने बच्ची को गुड़िया पुकारते हुए परवरिश की। सात साल बाद किन्नर की नीयत खराब हुई और वह बच्ची को उठा ले गया।
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बेटी के लिए दर-दर भटक रही बेटी
पुलिस ने फर्रुखाबाद से मुक्त कराया।बाल कल्याण समिति ने फिट पर्सन घोषित कर यशोदा को पालन पोषण के लिए बच्ची दे दी। वह इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। इसी बीच किन्नर के कहने और बाल कल्याण समिति के आदेश पर एक साल पहले उसे बालगृह भेज दिया गया। तब से यशोदा उस बेटी के लिए दर-दर की ठोकर खा रही है।
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