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आगरा किले की दुर्दशा
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा किले के दीवान-ए-आम में आईं दरारें 10 महीने बाद भी नहीं भरी जा सकीं हैं। जगह-जगह उखड़ा प्लास्टर, दीवारों पर दरारें और निकले पत्थर दुर्दशा की कहानी बयां कर रहे हैं।
जी-20 प्रतिनिधियों के स्वागत के लिए महिला बाल विकास एवं अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 11 फरवरी 2023 को दीवान-ए-आम में प्रोजेक्शन, मैपिंग व सांस्कृतिक प्रस्तुति कराई थी। जिसके बाद 10 से ज्यादा जगहों पर दरारें आ गईं थीं। विशेषज्ञों का मानना था कि तेज आवाज की धमक से प्लास्टर और कमजोर पत्थर निकलने लगते हैं। स्मारकों के लिए 40 डेसिबल से कम ध्वनि तय की गई है। इससे अधिक ध्वनि तरंगों से प्राचीन इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है। आगरा किले में आई दरारें भी इसी का नतीजा थीं। दीवारों में दरारों की स्थिति जानने के लिए पुरातत्व विभाग ने टेल-टेल ग्लास लगाया था ताकि ये पता चल सके कि दरारें और बढ़ रही हैं या नहीं। हालांकि विभागीय जांच में टेल-टेल ग्लास जस का तस मिला है, इसका मतलब है कि दीवारों में आई दरारें यथावत हैं।
दोहरी है छत, भरे हैं घड़े
आगरा किले के दीवान-ए-आम की छत दोहरी है। यानी जो छत नीचे से नजर आती है और जो ऊपर है, उनके बीच में 6 फीट का अंतर है। इस छह फीट में मिट्टी के बड़े घड़े भरे हुए हैं। नीचे वाली छत में पत्थरों के बीम है, जिस पर पत्थर रखकर उनके बीच के जोड़ को मोर्टार से भरा गया है। साउंड सिस्टम की तेज धमक से पतले पत्थरों के बीच कंपन (वाइब्रेशन) हुआ और नतीजा दरार के रूप में सामने आया।
201 फीट लंबा है दीवान-ए-आम
सपाट छत से ढके दीवान-ए-आम की लंबाई 201 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 67 फीट है। बाहरी संरचना में 9 बड़े-बड़े मेहराब बने हैं। लाल पत्थर से बना होने के बावजूद सफेद प्लास्टर का इस्तेमाल करने से यह सफेद संगमरमर के जैसा नजर आता है।
शुरू है मरम्मत का काम
आगरा किला संरक्षण सहायक कलंदर बिंद ने बताया कि दीवान-ए-आम की मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। शुरुआत में फर्श और पॉइंटिंग की जा रही है। इसके बाद छत की दरारों को भरने का काम किया जाएगा। 15 जनवरी तक मरम्मत का काम पूरा करने का लक्ष्य है।
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