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विधानसभा ने विशेषाधिकार हनन में दोषी पाए गए तत्कालीन सीओ (अब सेवानिवृत्त आईएएस) और पांच पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पुलिसकर्मियों में आगरा में तैनात निरीक्षक त्रिलोकी सिंह भी शामिल हैं। इन पर वर्तमान में फतेहाबाद थाने का प्रभार है। सजा मिलने के बाद आगरा में भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। उधर, सजा पर जनप्रतिनिधियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। कहा कि विश्नोई मामले में सजा लोकतंत्र को मजबूती देगी।
घटना 15 सितंबर 2004 की है। कानपुर के जनरलगंज के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने बिजली आपूर्ति को लेकर धरना दिया था। डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे। रास्ते में बाबू पुरवा के सीओ अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने घेरकर पीटा था। अपमानित करते हुए लाठियां बरसाई थीं। यह मामला विशेषाधिकार समिति के सामने पहुंचा। समिति ने जांच के बाद 27 जुलाई 2005 को अब्दुल समद, तत्कालीन थाना प्रभारी किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिलोकी सिंह, सिपाही छोटे सिंह, विनोद मिश्रा और मेहरबान सिंह यादव को दोषी करार दिया था। त्रिलोकी सिंह घटना के समय कानपुर में दरोगा थे, लेकिन पदोन्नति होने के बाद निरीक्षक हैं। वह फतेहाबाद थाना में तैनात हैं।
लखनऊ में भी चर्चा में रहे थे त्रिलोकी सिंह
लखनऊ में जनवरी 2021 में तत्कालीन आईजी नवीन अरोरा ने गोपनीय रिपोर्ट दी थी। इस आधार पर कई पुलिसकर्मी हटाए गए थे। कुछ को आगरा में तैनाती मिली थी। पुलिसकर्मियों को दो साल तक चार्ज नहीं देने की संस्तुति की गई थी। इनमें निरीक्षक त्रिलोकी सिंह भी शामिल थे। उन्हें सबसे पहले थाना लोहामंडी का प्रभारी निरीक्षक बनाया गया। तब एसएसपी सुधीर कुमार सिंह थे। हाल ही में उन्हें थाना लोहामंडी से हटाकर थाना फतेहाबाद का प्रभारी निरीक्षक बनाया गया। त्रिलोकी सिंह लखनऊ में भी काफी चर्चा में रहे थे।
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