Friday, January 10, 2025
Home Agra आगरा:प्रसूताओं को 48 घंटे चिकित्सीय देखरेख में रखने के नियम का जिले में नहीं हो रहा अनुपालन – The Rule Of Keeping Pregnant Women Under Medical Supervision For 48 Hours Is Not Being Followed In The District

आगरा:प्रसूताओं को 48 घंटे चिकित्सीय देखरेख में रखने के नियम का जिले में नहीं हो रहा अनुपालन – The Rule Of Keeping Pregnant Women Under Medical Supervision For 48 Hours Is Not Being Followed In The District

by amitsagar
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कासगंज। जिले में मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। प्रसूताओं को 48 घंटे चिकित्सीय देखरेख में रखने के नियमों का अनुपालन भी नहीं किया जा रहा। इसका उदाहरण है 7266 महिलाओं को प्रसव के कुछ घंटे बाद ही अस्पतालों से डिस्चार्ज कर दिया गया।

शासन से गर्भवती महिलाओं के लिए मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत महिलाओं को प्रसव के उपरांत 48 घंटे तक भर्ती कर उनकी देखभाल करनी ह। ताकि जच्चा और नवजात की उचित देखभाल की जा सके। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान महिलाओं को भोजन, नाश्ता आदि देने की भी व्यवस्था है। जिले में महिलाओं को प्रसव के उपरांत अस्पताल पर भर्ती करने में चिकित्सक रुचि नहीं दिखाते। प्रसव के बाद महिला या बच्चे की स्थिति कुछ गंभीर दिखती है, उनको ही अस्पताल पर भर्ती किया जाता है। अन्य प्रसूता महिलाओं और उनके बच्चों को प्रसव के दो से तीन घंटे के भीतर ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इसके चलते घर जाने के बाद यदि जच्चा या बच्चे को कुछ दिक्कत होती है तो उन्हें फिर से अस्पताल आना पड़ता है। जिले में वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य केंद्रों पर 17907 महिलाओं के प्रसव हुए। जिनमें से 10641 महिलाओं को ही 48 घंटे अस्पताल में भर्ती रखा गया। जबकि शेष 7266 महिलाओं को प्रसव के कुछ घंटों बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

अस्पताल से प्रसव के तीन घंटे बाद छुट्टी दे दी गई। घर जाकर बच्चे को कुछ दिक्कत हुई तो उसे फिर से अस्पताल आना पड़ा। जिससे काफी दिक्क्त हुई- बीना, प्रसूता

सरकारी अस्पताल पर प्रसव कराया। प्रसव के चार घंटे बाद ही चिकित्सकों ने छुट्टी दे दी, अस्पताल पर उसे नाश्ता व भोजन भी नहीं दिया गया-रामकली, प्रसूता

अस्पताल पर प्रसव कराने आने वाली सभी महिलाओं को 48 घंटे भर्ती रहने की सलाह दी जाती है। प्रसव के बाद जच्चा बच्चो को सेहत के खतरे के बारे में भी बताया जाता है। कुछ प्रसूताएं भर्ती रहने को तैयार नहीं होती और स्वेच्छा से अपने घर चली जाती हैं।- डाॅ. अवध किशोर प्रसाद

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