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आगरा: घटनास्थल से 200 मीटर दूर दीप्ति के ताऊ हरिकांत खेत में काम कर रहे थे. दुर्घटना की खबर मिली तो भागकर पहुंचे. तब तक लोग दीप्ति, अरङ्क्षवद और गुंजन को ऑटो में डालकर ले जा चुके थे. चाचा ने खून से लथपथ दीप्ति को रास्ते में ऑटो से उतारकर कार में डाला. अस्पताल की ओर दौड़ पड़े. कार का पहिया दीप्ति पर से निकल गया था. ताऊ की गोद में सिर रखे खून से लथपथ होने के बाद भी दीप्ति की जुबां पर एक ही बात थी, ताऊ भाई-बहन कैसे हैं. बेतहाशा दर्द और खुद मौत से जूझती दीप्ति को भाई-बहनों की ङ्क्षचता थी. अस्पताल में वेंटीलेटर पर जाने से पहले उसकी आंखें ताऊ हरिकांत से यही सवाल कर रही थीं.
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